मिरी ग़ज़ल में किसी बेवफ़ा का ज़िक्र न था By Sher << जाएगी गुलशन तलक उस गुल की... सियासत के चेहरे पे रौनक़ ... >> मिरी ग़ज़ल में किसी बेवफ़ा का ज़िक्र न था न जाने कैसे तिरा तज़्किरा निकल आया Share on: