ख़बरदार

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बलवाई मालिक मकान को बड़ी मुश्किलों से घसीट कर बाहर ले आए।
कपड़े झाड़ कर वो उठ खड़ा हुआ और बलवाइयों से कहने लगा,

“तुम मुझे मार डालो लेकिन ख़बरदार जो मेरे रुपये पैसे को हाथ लगाया।”
[...]

दावत-ए-अमल

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आग लगी तो सारा मोहल्ला जल गया... सिर्फ़ एक दुकान बच गई जिसकी पेशानी पर ये बोर्ड आवेज़ां था...
“यहां इमारत-साज़ी का जुमला सामान मिलता है।”


क़िस्मत

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“कुछ नहीं दोस्त... इतनी मेहनत करने पर सिर्फ़ एक बक्स हाथ लगा था पर इस में भी साला सुअर का गोश्त निकला।”


मज़दूरी

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लूट खसूट का बाज़ार गर्म था। इस गर्मी में इज़ाफ़ा होगया। जब चारों तरफ़ आग भड़कने लगी। एक आदमी हारमोनियम की पेटी उठाए ख़ुश ख़ुश गाता जा रहा था...
'जब तुम ही गए परदेस लगा कर ठेस ओ पीतम प्यारा, दुनिया में कौन हमारा।'

एक छोटी उम्र का लड़का झोली में पापडों का अंबार डाले भागा जा रहा था... ठोकर लगी तो पापडों की एक गड्डी उसकी झोली में से गिर पड़ी। लड़का उसे उठाने के लिए झुका तो एक आदमी जो सर पर सिलाई की मशीन उठाए हुए था उससे कहा, “रहने दे बेटा रहने दे। अपने आप भुन जाऐंगे।”
बाज़ार में ढब से एक भरी हुई बोरी गिरी। एक शख़्स ने जल्दी से बढ़ कर अपने छुरे से उसका पेट चाक किया... आंतों के बजाय शक्कर, सफ़ेद सफ़ेद दानों वाली शक्कर उबल कर बाहर निकल आई। लोग जमा हो गए और अपनी झोलियां भरने लगे। एक आदमी कुर्ते के बगै़र था। उसने जल्दी से अपना तहबंद खोला और मुट्ठियाँ भर भर उसमें डालने लगा। [...]

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