All English Shayari

دیوار پر جڑی تختیاں

ایک وقت تھا جب وہ عمارت ایک خاموش اور پرسکون علاقے میں اپنے باغیچے میں ایستادہ عجیب و غریب مجسموں کے ساتھ بڑے احترام کی نظر سے دیکھی جاتی تھی۔ جب میں ...

اقبال-مجید

पठानिस्तान

“ख़ू, एक दम जल्दी बोलो, तुम कौन ऐ?” ...

सआदत-हसन-मंटो

ओवर कोट

जनवरी की एक शाम को एक ख़ुशपोश नौजवान डेविस रोड से गुज़र कर माल रोड पर पहुँचा और चेरिंग क्रास का रुख़ कर के ख़रामाँ ख़रामाँ पटरी पर चलने लगा। ये नौजवान अ...

ग़ुलाम-अब्बास

क़िस्मत

“कुछ नहीं दोस्त... इतनी मेहनत करने पर सिर्फ़ एक बक्स हाथ लगा था पर इस में भी साला सुअर का गोश्त निकला।”

सआदत-हसन-मंटो

जाएज़ इस्तेमाल

दस राउंड चलाने और तीन आदमियों को ज़ख़्मी करने के बाद पठान भी आख़िर सुर्ख़-रु हो ही गया। ...

सआदत-हसन-मंटो

आराम की ज़रूरत

“मरा नहीं... देखो अभी जान बाक़ी है।”

सआदत-हसन-मंटो

निगरानी में

'अ' अपने दोस्त 'ब' को अपना हम-मज़हब ज़ाहिर करके उसे महफ़ूज़ मक़ाम पर पहुंचाने के लिए मिल्ट्री के एक दस्ते के साथ रवाना हुआ। ...

सआदत-हसन-मंटो

हमेशा कि छुट्टी

“पकड़ लो... पकड़ लो... देखो जाने न पाए।” ...

सआदत-हसन-मंटो

सफ़ाई पसंदी

गाड़ी रुकी हुई थी। तीन बंदूक़्ची एक डिब्बे के पास आए। ...

सआदत-हसन-मंटो

कस्र-ए-नफ़्सी

चलती गाड़ी रोक ली गई। जो दूसरे मज़हब के थे उनको निकाल निकाल कर तलवारों और गोलियों से हलाक कर दिया गया। ...

सआदत-हसन-मंटो

हलाल और झटका

“मैंने उसकी शहरग पर छुरी रखी। हौले हौले फेरी और उस को हलाल कर दिया। ...

सआदत-हसन-मंटो

बे-ख़बरी का फ़ायदा

लबलबी दबी... पिस्तौल से झुँझला कर गोली बाहर निकली। ...

सआदत-हसन-मंटो

قیدی کی سرگزشت

بدنصیب قیدی جیل خانے کی تنگ و تاریک کوٹھڑی میں سرجھکائے بیٹھا تھا۔ چند گھنٹے پیشتر وہ آزادتھا۔ دنیا کی تمام راحتیں اسے حاصل تھیں۔ اس کا ہر مقصد تکمیل ...

مرزا-ادیب

تماشا گھر

جو کچھ ہوا، وہ آخر ہوا کیسے؟ ...

اقبال-مجید

जेली

सुबह छः बजे पेट्रोल पंप के पास हाथ गाड़ी में बर्फ़ बेचने वाले के छुरा घोंपा गया… ...

सआदत-हसन-मंटो

فاصلے

رحمت خاں خاصا طویل تھا۔ دور دور تک پرانے مکانوں کی دو رویہ قطاریں پھیلی ہوئی تھیں، آخر میں جہاں آنے جانے والوں کے لیے راستہ بند کرنے کی خاطر ایک دیوار...

مرزا-ادیب

اولڈ ایج ہوم

آخری سیڑھی اور اس کے کمرے کے درمیان کم و بیش دس گز کا فاصلہ حائل تھا اور یہ فاصلہ اس کے لیے ایک بڑی آزمائش کا حرملہ بن جاتا تھا۔ کمرے کا دروازہ بند ہو...

مرزا-ادیب

मज़दूरी

लूट खसूट का बाज़ार गर्म था। इस गर्मी में इज़ाफ़ा होगया। जब चारों तरफ़ आग भड़कने लगी। एक आदमी हारमोनियम की पेटी उठाए ख़ुश ख़ुश गाता जा रहा था... ...

सआदत-हसन-मंटो

بنارس کا ٹھگ

(۱) ...

خواجہ-احمد-عباس

शातिर की बीवी

(1) ...

मिर्ज़ा-अज़ीम-बेग़-चुग़ताई
PreviousPage 87 of 681Next