All English Shayari
इक्का
दस बजे हैं। लेडी हिम्मत क़दर ने अपनी मोटी सी नाज़ुक कलाई पर नज़र डालते हुए जमाही ली। नवाब हिम्मत क़दर ने अपनी ख़तरनाक मूंछों से दाँत चमका कर कहा। ग्यारह,...
आनंदी
बलदिया का इजलास ज़ोरों पर था। हाल खचाखच भरा हुआ था और खिलाफ़-ए-मा’मूल एक मेम्बर भी ग़ैर-हाज़िर न था। बलदिया के ज़ेर-ए-बहस मस्अला ये था कि ज़नान-बाज़ारी को श...
घाटे का सौदा
दो दोस्तों ने मिल कर दस-बीस लड़कियों में से एक लड़की चुनी और बयालिस रुपये दे कर उसे ख़रीद लिया। ...
تعویذ
امی نہ رہیں تو صرف اتنا ہی ہوا نا کہ اپنے کمرے میں نہ رہیں۔ ہمارے گھر میں نہ رہیں۔ اس دم دمے میں بھی نہ رہیں جس کے زنانی دروازے سے سواری گھر جانے پر و...
आदमी
खिड़की के नीचे उन्हें गुज़रता हुआ देखता रहा। फिर यकायक खिड़की ज़ोर से बंद की। मुड़कर पंखे का बटन ऑन किया। फिर पंखे का बटन ऑफ़ किया। मेज़ के पास कुर्सी पे ट...
क़ुर्बानी का जानवर
ज़फ़र भौंचक्का बैठा था। आयशा ने िसवय्यों का प्याला हाथ में देते हुए पूछा, ‘‘फिर क्या कहा मैडम ने?’’ ...
महावटों की एक रात
गड़ गड़! गड़ड़ड़! इलाही ख़ैर! मालूम होता है कि आसमान टूट पड़ेगा। कहीं छत तो नहीं गिर रही। गड़ड़ड़ड़! उस के साथ ही टूटे हुए किवाड़ों की झिर्रियाँ एक तड़पती हुई...
गूँदनी
मिर्ज़ा बिर्जीस क़द्र को में एक अर्से से जानता हूँ। हर-चंद हमारी तबीअतों और हमारी समाजी हैसियतों में बड़ा फ़र्क़ था। फिर भी हम दोनों दोस्त थे। मिर्ज़ा का...
गूँगी मुहब्बत
वो दोनों जवान थीं और ज़ाहिर है कि जवानी की बहार-आफ़रीनी हर निस्वानी पैकर के ख़द्द-ओ-ख़ाल में एक ख़ास शगुफ़्तगी और एक ख़ास दिल-आवेज़ी पैदा कर देती है... चुनाँ...
خون کی ایک بوتل
ڈاکٹر ابھی ابھی راؤنڈ کرکے باہر نکلا تھا۔ ماں نے آنکھیں بند کرلی تھیں۔ شاید وہ سو چکی تھی۔ اس کا جی چاہا کہ ذرا ادھر ادھر گھوم پھر آئے اور وہ دروازے ک...
रुमूज़-ए-ख़ामोशी
मैं चार बजे की गाड़ी से घर वापिस आ रहा था। दस बजे की गाड़ी से एक जगह गया था और चूँकि उसी रोज़ वापिस आना था लिहाज़ा मेरे पास अस्बाब वग़ैरा कुछ ना था। सिर्फ...
कपास का फूल
माई ताजो हर रात को एक घंटे तो ज़रूर सो लेती थी लेकिन लेकिन उस रात ग़ुस्से ने उसे इतना सा भी सोने की मोहलत न दी। पौ फटे जब वो खाट पर से उतर कर पानी पीने...
रज़्ज़ो बाजी
सीतापुर में तहसील सिधाली अपनी झीलों और शिकारियों के लिए मशहूर थी। अब झीलों में धान बोया जाता है। बंदूक़ें बेच कर चक्कियाँ लगाई गई हैं, और लाइसेंस पर ...
कतबा
शहर से कोई डेढ़ दो मील के फ़ासले पर पर फ़िज़ा बाग़ों और फुलवारियों में घिरी हुई क़रीब क़रीब एक ही वज़ा की बनी हुई इमारतों का एक सिलसिला है जो दूर तक फैलता ...
جنرل نالج سے باہر کا سوال
گول چبوترے پرکھڑے ہوکر چاروں راستےصاف نظرآتے ہیں، جن پر راہ گیر سواریاں اورخوانچے والے چلتے رہتے ہیں۔ چبوترے پرجو بوڑھا آدمی لیٹا ہے، اس کے کپڑے جگہ...
کھل بندھنا
مندر کے احاطے سے گزرتے ہوئے سیوا کارن، بانورے کو بڑ کے درخت تلے دیکھ کر رک گئی۔ بولی، ’’ارے تجھے کیا ہوا جو یوں ہانپ رہا ہے تو؟‘‘ ...