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बरस कर खुल गया अब्र-ए-ख़िज़ाँ आहिस्ता आहिस्ता
बरस कर खुल गया अब्र-ए-ख़िज़ाँ आहिस्ता आहिस्ता ...
ख़ुद ही संग-ओ-ख़िश्त ख़ुद ही सर-जुनून-ए-सर हूँ मैं
ख़ुद ही संग-ओ-ख़िश्त ख़ुद ही सर-जुनून-ए-सर हूँ मैं ...
बरस कर खुल गया अब्र-ए-ख़िज़ाँ आहिस्ता आहिस्ता ...
ख़ुद ही संग-ओ-ख़िश्त ख़ुद ही सर-जुनून-ए-सर हूँ मैं ...