सभी हिंदी शायरी

उठो नौजवानो

अंधेरे हटाओ उजाले बिछाओ ...

abul-fitrat-meer-zaidi

पेशावर की सैर

हर एक दिलरुबा मिला ...

abul-fitrat-meer-zaidi

मोहब्बत

मोहब्बत ख़ालिक़-ए-हर-दो-जहाँ है ...

abul-fitrat-meer-zaidi

भक्कर

भक्कर के बाज़ार को देखा ...

abul-fitrat-meer-zaidi

ज़हे नसीब कि इम्कान-ए-ज़ीस्त अब तक है

ज़हे नसीब कि इम्कान-ए-ज़ीस्त अब तक है ...

abu-hurrairah-abbasi

ये तिश्ना-लबी ही तो है उस्लूब हमारा

ये तिश्ना-लबी ही तो है उस्लूब हमारा ...

abu-hurrairah-abbasi

रवय्या देख कर उन का तो हम नाशाद हो बैठे

रवय्या देख कर उन का तो हम नाशाद हो बैठे ...

abu-hurrairah-abbasi

जाने से तेरे मुझ पे ये कैसा असर पड़ा

जाने से तेरे मुझ पे ये कैसा असर पड़ा ...

abu-hurrairah-abbasi

इतने सहे हैं ग़म कि मैं कैसे करूँ हिसाब

इतने सहे हैं ग़म कि मैं कैसे करूँ हिसाब ...

abu-hurrairah-abbasi

हम ख़ाक-नशीनों पे तुम इल्हामी 'अता हो

हम ख़ाक-नशीनों पे तुम इल्हामी 'अता हो ...

abu-hurrairah-abbasi

चारों तरफ़ है फैली हुई तीरगी तो क्या

चारों तरफ़ है फैली हुई तीरगी तो क्या ...

abu-hurrairah-abbasi

बचा अब क्या हमारा है

बचा अब क्या हमारा है ...

abu-hurrairah-abbasi

अफ़्सुर्दगी में रहना मिरा काम भी तो है

अफ़्सुर्दगी में रहना मिरा काम भी तो है ...

abu-hurrairah-abbasi

किसी तरह की 'इबादत रवा नहीं रखूँगा

किसी तरह की 'इबादत रवा नहीं रखूँगा ...

abhishek-shukla

याद में उन की मिरी आँख से बरसात हुई

याद में उन की मिरी आँख से बरसात हुई ...

abdullah-minhaj-khan

मियाँ दो चार दिन की ये हमारी ज़िंदगानी है

मियाँ दो चार दिन की ये हमारी ज़िंदगानी है ...

abdullah-minhaj-khan

कटता ही नहीं जाने मिरा कैसा सफ़र है

कटता ही नहीं जाने मिरा कैसा सफ़र है ...

abdullah-minhaj-khan

जो थे मुख़ालिफ़ हमीं से हम को वो देख कर के सँवर रहे हैं

जो थे मुख़ालिफ़ हमीं से हम को वो देख कर के सँवर रहे हैं ...

abdullah-minhaj-khan

दूर से सब को ये लगता है सवेरा है यहाँ

दूर से सब को ये लगता है सवेरा है यहाँ ...

abdullah-minhaj-khan

बिन तिरे दिल के नगर को मैं बसाऊँ कैसे

बिन तिरे दिल के नगर को मैं बसाऊँ कैसे ...

abdullah-minhaj-khan
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