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वक़्त की कोख में सुलगता सा

वक़्त की कोख में सुलगता सा

aftab-shah

शायद वो जा चुका है मगर देख लो कहीं

शायद वो जा चुका है मगर देख लो कहीं

aftab-shah

सच का निखरा लिबास पहने हुए

सच का निखरा लिबास पहने हुए

aftab-shah

निकल गया जो कहानी से मैं तुम्हारी कहीं

निकल गया जो कहानी से मैं तुम्हारी कहीं

aftab-shah

माँग लेते हैं भरोसे पे कि वो दे देगा

माँग लेते हैं भरोसे पे कि वो दे देगा

aftab-shah

लिखवा दिए हैं रब को सभी ज़ालिमों के नाम

लिखवा दिए हैं रब को सभी ज़ालिमों के नाम

aftab-shah

हम तो इक तिल पे ही बस ख़ुद को फ़ना कर बैठे

हम तो इक तिल पे ही बस ख़ुद को फ़ना कर बैठे

aftab-shah

हाथ चेहरे पे लगाते ही वो घबरा सी गईं

हाथ चेहरे पे लगाते ही वो घबरा सी गईं

aftab-shah

हार को जीत के पहलू में बिठा देते हैं

हार को जीत के पहलू में बिठा देते हैं

aftab-shah

दर-ब-दर मैं ही नहीं वक़्त भी इन राहों पर

दर-ब-दर मैं ही नहीं वक़्त भी इन राहों पर

aftab-shah

डर तो नहीं मगर कहीं पत्तों के शोर से

डर तो नहीं मगर कहीं पत्तों के शोर से

aftab-shah

आप वाक़िफ़ हैं मिरे दोस्त हसीं लफ़्ज़ों से

आप वाक़िफ़ हैं मिरे दोस्त हसीं लफ़्ज़ों से

aftab-shah

तू ने नज़रों से कई लोग गिराए होंगे

तू ने नज़रों से कई लोग गिराए होंगे ...

aftab-shah

ओढ़ कर शाल तिरी यादों की घर जाता हूँ

ओढ़ कर शाल तिरी यादों की घर जाता हूँ ...

aftab-shah

नज़रों से गिर गया तो उठाया नहीं गया

नज़रों से गिर गया तो उठाया नहीं गया ...

aftab-shah

नगीन लगता हूँ मैं दिल-नशीन लगता हूँ

नगीन लगता हूँ मैं दिल-नशीन लगता हूँ ...

aftab-shah

न मुझ को चैन आवे है न मुझ को नींद ही आवे

न मुझ को चैन आवे है न मुझ को नींद ही आवे ...

aftab-shah

मिरे हिज्र का तू 'इलाज कर कोई हल बता मिरे साइयाँ

मिरे हिज्र का तू 'इलाज कर कोई हल बता मिरे साइयाँ ...

aftab-shah

मिरे हमनशीं ये मलाल है मिरी ज़िंदगी कहीं खो गई

मिरे हमनशीं ये मलाल है मिरी ज़िंदगी कहीं खो गई ...

aftab-shah

मैं ज़िंदगी के सितम को रिवाज कह न सका

मैं ज़िंदगी के सितम को रिवाज कह न सका ...

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