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चराग़ सामने वाले मकान में भी न था

चराग़ सामने वाले मकान में भी न था

jamal-ehsani

चराग़ बुझते चले जा रहे हैं सिलसिला-वार

चराग़ बुझते चले जा रहे हैं सिलसिला-वार

jamal-ehsani

चारों जानिब रची हुई है अश्कों की बू-बास

चारों जानिब रची हुई है अश्कों की बू-बास

jamal-ehsani

बोझ से झुकने लगी शाख़ तो जा कर हम ने

बोझ से झुकने लगी शाख़ तो जा कर हम ने

jamal-ehsani

बिछड़ते वक़्त ढलकता न गर इन आँखों से

बिछड़ते वक़्त ढलकता न गर इन आँखों से

jamal-ehsani

ये शहर अपने हरीफ़ों से हारा थोड़ी है

ये शहर अपने हरीफ़ों से हारा थोड़ी है ...

jamal-ehsani

वो यूँही नहीं 'इश्क़ की जागीर से निकला

वो यूँही नहीं 'इश्क़ की जागीर से निकला ...

jamal-ehsani

वो सुब्ह वस्ल कर के परेशान भी गया

वो सुब्ह वस्ल कर के परेशान भी गया ...

jamal-ehsani

वो हाथ और ही था वो पत्थर ही और था

वो हाथ और ही था वो पत्थर ही और था ...

jamal-ehsani

उस की मोहब्बतों का तरीक़ा कुछ और है

उस की मोहब्बतों का तरीक़ा कुछ और है ...

jamal-ehsani

उस की ख़्वाहिश है कि जल्दी भूल जाना चाहिए

उस की ख़्वाहिश है कि जल्दी भूल जाना चाहिए ...

jamal-ehsani

तू मिरी खोई निशानी के सिवा कुछ भी नहीं

तू मिरी खोई निशानी के सिवा कुछ भी नहीं ...

jamal-ehsani

तू अपने वस्ल के वा'दे से जब मुकरने लगा

तू अपने वस्ल के वा'दे से जब मुकरने लगा ...

jamal-ehsani

सुलूक-ए-नारवा का इस लिए शिकवा नहीं करता

सुलूक-ए-नारवा का इस लिए शिकवा नहीं करता ...

jamal-ehsani

सुब्ह आता हूँ यहाँ और शाम हो जाने के बा'द

सुब्ह आता हूँ यहाँ और शाम हो जाने के बा'द ...

jamal-ehsani

सभी खड़े थे शरीक-ए-ज़माना होते हुए

सभी खड़े थे शरीक-ए-ज़माना होते हुए ...

jamal-ehsani

रहना नहीं अगरचे गवारा ज़मीन पर

रहना नहीं अगरचे गवारा ज़मीन पर ...

jamal-ehsani

रात आती रहती है दिन निकलता रहता है

रात आती रहती है दिन निकलता रहता है ...

jamal-ehsani

क़ुर्बतों में कोई राहत न किसी दूरी में

क़ुर्बतों में कोई राहत न किसी दूरी में ...

jamal-ehsani

पहले-पहल घर से निकले हो ध्यान रहे

पहले-पहल घर से निकले हो ध्यान रहे ...

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