हया-ए-रूह गुल-एज़ाज़ भी है शुऊर-ए-ज़िंदगी का राज़ भी है मोहब्बत राज़-अंदर-राज़ भी है कहीं ये सोज़ भी है साज़ भी है उसे कैसे न दिल दे दूँ कि जिस में वफ़ा भी हुस्न भी अंदाज़ भी है रह-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा में ज़िंदगानी तराना भी है सोज़-ओ-साज़ भी है मोहब्बत में न देख अंजाम ऐ दिल ये इक बे-इंतिहा आग़ाज़ भी है तबस्सुम ही नहीं ग़ारत-गर-ए-दिल बला-ए-जाँ ख़िराम-ए-नाज़ भी है दिल-ए-'जौहर' है इक आशिक़ की दुनिया कि ये पामाल-ए-हुस्न-ओ-नाज़ भी है