मैं अपनी बेबसी महसूस कर के रो रहा हूँगा सुनो ऐ दोस्तो इक दिन मैं सब कुछ खो रहा हूँगा ये दुनिया कार-हा-ए-अहमक़ाना ही से चलती है किसी मंसब पे मैं भी बैठ कर कुछ हो रहा हूँगा तिरे शिकवे से वक़्त-ए-नज़अ' मुझ को शर्म आएगी कि अपने दाग़-ए-दिल फिर आँसुओं से धो रहा हूँगा तिरी चश्म-ए-तहय्युर देख लेती किस तरह मुझ को जहाँ हसरत के मारे सब थे मैं भी तो रहा हूँगा मिरी नुसरत पे क़ाबिज़ हो रही है मेरी पस्पाई थके-हारे किसी लम्हे में मैं भी सो रहा हूँगा