देखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र है अन्य << मेरी हवस के अंदरूँ महरूमि... ख़ुदा उसे भी किसी दिन ज़व... >> देखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र हैअब क्या कहूँ जमाल-ए-रुख़-ए-फ़ित्नागर को मैं! Share on: