हर एक शख्स ख़फ़ा मुझसे अंजुमन में था Admin अंजुमन शायरी, अन्य << किसी ने धूल क्या झोंकी आख... मेरी साँसों को भी आज टूट ... >> हर एक शख्स ख़फ़ा मुझसे अंजुमन में था....क्यों की मेरे लब पे वही था,जो मेरे मन में था.....!!! Share on: