कम्बख्त ने धक्का दिया हमें डुबाने के लिए Admin तेरा साथ शायरी, अन्य << ग़म इस कदर बढे कि घबरा कर... सर झुकाने से नमाजें अदा न... >> कम्बख्त ने धक्का दिया हमें डुबाने के लिएअंजाम-ए-मोहब्बत ये रहा कि हम तैराक बन गए। Share on: