कवायतें यादों की मान Admin यादो कि शायरी, अन्य << समां हो फागुन का चालाकी कहाँ मिलती है >> कवायतें यादों की मान कर चलने लगा हूं किफिर कोई चोट सीने में उभर कर आयी है | Share on: