मौसम से हरियाली गायबजीवन से खुशहाली गायबईयरफ़ोन हुआ है गहनाअब कानों से बाली गायबईद खुशी की आये कैसेहोली गुम दीवाली गायबउतरा है आँखों का पानीऔ चेहरे की लाली गायबअफ़वाहों के बम जिन्दा हैंबातें भोली -भाली गायबमीठापन भी ज़हर हुआ हैवो मिश्री सी गाली गायब|डॉ० विनय मिश्र