निगाहों में मंज़िल थी Admin मंज़िल शायरी, अन्य << जली रोटियों पर बहुत शौर म... आओ झुक कर सलाम करें उनको >> निगाहों में मंज़िल थीगिरे और गिर कर संभलते रहेहवाओं ने तो बहुत कोशिश कीमगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे। Share on: