आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होने Admin मिर्झा गालिब शायरी, इश्क << अपनी ज़िन्दगी में मुझ को क... काजल लागे किरकिरी सुरमा स... >> आह को चाहिये इक उम्र असर होने तककौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होने तकहमने माना कि तगा़फुल न करोगे लेकिनखाक़ हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक'मिर्ज़ा गालिब' Share on: