दीदार-ए-यार को बेक़रार है मेरी रूह-ए-आवारा Admin जन्म की शायरी, इश्क << तेरे बिना जीना मुश्किल हे हर किसी के नाम पर धड़कन नह... >> दीदार-ए-यार को बेक़रार है मेरी रूह-ए-आवारा,अब न है कोई और नाम लबों पे, सिवाए तुम्हारा ,काश! न होती ये मजबूरियाँ, न दूरियां, बस वक़्त होता हमारा,तेरे रुखसारों को चूमता मैं और बाहों में लेकर मनाता जन्मदिन तुम्हारा, Share on: