जीवन के बिखरे पन्नो पर कुछ सपनो के गीत सजाने हैं,पवन की बहती तरंग पर कुछ सुर संगीत सजाने हैं !इन्द्रधनुष के रंग चुराकर कुछ नए से रंग बनाने हैं,फिर कड़वे नीम की डाली पर कुछ मीठे से फल उगाने हैं !!थे जो कुछ सूखे से कंकाल उस ऊँचे अक्खड़ पर्वत के,उस पर भी प्यार की बोली के मीठे से झरने बहाने हैं !फिर मुरझाई ही उस धरती को जल के दो घूंट पिलाने हैं,और कड़वे नीम की डाली पर कुछ मीठे से फल उगाने हैं .