इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले Admin कपडे पर शायरी, ज़िन्दगी << मेरी जिंदगी का खेल शतरंज ... सत्य वचन किसी की बुराई त... >> इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...'कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की...महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में !! Share on: