जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर' जुदाई << ख़्वाब की तरह बिखर जाने क... अभी राह में कई मोड़ है को... >> जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर'वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं! Share on: