तुम ख़फ़ा हो के हम को छोड़ चले जुदाई << धूप बढ़ते ही जुदा हो जाएग... अपनी तन्हाई को आबाद तो कर... >> तुम ख़फ़ा हो के हम को छोड़ चलेअब अजल से है सामना अपना! Share on: