ऐ मेरे दिल कुछतो बता दे, किसजहाँ मेंखोया रहता है तू,भावनाओकी नदियों में बिनकश्ती क्यों बहता रहता हैतू |जानता हैजिद्दी राह-ए-मोहब्बत का सफ़रकितना मुश्किल,फिर भी बार बारठोकर खाकर, दर्द-ओ-ज़ख़्म सहता है तू |हज़ार मिन्नतें करतेहै, कभी मन की बातभी सुन लिया करो,वो काफ़िर अपने औरहम दुश्मन, नासमझक्या कहता है तू |