हर श 6्स ही जैसे रुख-इ-बातिल से मिला हो Admin अंजूम रहबर शायरी, दर्द << एक शख्स पास रह के समझा नह... अकेले राह पर चलने की आदत ... >> हर श6्स ही जैसे रुख-इ-बातिल से मिला हो,एक भी नहीं ऐसा जो हमें दिल से मिला हो,फिर राह से, रहबर से, मुसफ्त से गिला क्या,जब हुकम पलट जाने का मंजिल से मिला हो,अंदाज़-इ मुलाक़ात भी इस बार जुदा था,जैसे के उन्हें वक़्त भी मुश्किल से मिला हो। Share on: