मैं मोहलत वख्त से फॉर मांग लूँगा Admin आवाज़ शायरी, दर्द << रवां ग़मों का समंदर है उसक... मेरी तनहाइयों से कोई पूछे >> मैं मोहलत वख्त से फॉर मांग लूँगाकोई आवाज़ तो देकर पुकारे मेरे गम कि कहानी कह रहे हैंतेरे आँचल के ये भीगे किनारे Share on: