मेरी तनहाइयों से कोई पूछे Admin तनहाइयाँ शायरी, दर्द << मैं मोहलत वख्त से फॉर मां... छुप गया अब्र के आँचल में ... >> मेरी तनहाइयों से कोई पूछेवो दिन फ़ुरकत के किस तरह गुज़ारेसहारा जो तेरी यादों का होताना हरगिज़ सूखते सावन हमारे Share on: