मिट्टी का जिस्म लेकर पानी के घर मे हूँ Admin सफर शायरी हिंदी, दर्द << टूटे हुए प्याले में जाम न... जब खुदा ने इश्क बनाया होग... >> मिट्टी का जिस्म लेकर पानी के घर मे हूँ,मंज़िल है मौत मेरी, और मैं हर पल सफर मे हूँ,होगा क़त्ल मेरा पता है मुझको,पर ये मालूम नही,कि मैं किस क़ातिल की नज़र मे हूँ| Share on: