रोने से और इश्क़ में...रोने से और् इश्क़ में बेबाक हो गएधोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गएसर्फ़-ए-बहा-ए-मै हुए आलात-ए-मैकशीथे ये ही दो हिसाब सो यों पाक हो गएरुसवा-ए-दहर गो हुए आवार्गी से तुमबारे तबीयतों के तो चालाक हो गएकहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बेअसरपर्दे में गुल के लाख जिगर चाक हो गएपूछे है क्या वजूद-ओ-अदम अहल-ए-शौक़ काआप अपनी आग से ख़स-ओ-ख़ाशाक हो गएकरने गये थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिलाकी एक् ही निगाह कि बस ख़ाक हो गएइस रंग से उठाई कल उस ने 'असद' की नाशदुश्मन भी जिस को देख के ग़मनाक हो गए।