सोचता हूँ सागर की लहरों को देख कर Admin बेवफा शायरी हिन्दी मे, दर्द << चाँद का क्या कसूर अगर रात... जिनकी याद में हम दीवाने ह... >> सोचता हूँ सागर की लहरों को देख कर,क्यूँ ये किनारे से टकरा कर पलट जातें हैं,करते हैं ये सागर से बेवफाई,या फिर सागर से वफ़ा निभातें हैं| Share on: