भीड़ भाड़ को छोड़ आए हैं बस तन्हाई भाई है Admin भाई दूज शायरी, प्रेम << जख्म तुम देते रहे एक पल भी सोती नहीं है आँख... >> भीड़ भाड़ को छोड़ आए हैं बस तन्हाई भाई है.वहां बहुत बेचैनी भोगी यहां खुमारी छाई है.वो सवाल अब यहां नहीं हैं जिनके उत्तर मुश्किल थे.जितनी हमने इच्छा की थी उतनी राहत पाई है. Share on: