हवा कुछ और ही आलम में चलती जाती है हुनर और ऐब की सूरत बदलती जाती Admin प्रेम << आए ज़ुबाँ पर राजे-ए-मुहब्... हम प्यार उन्ही से करते है >> हवा कुछ और ही आलम में चलती जाती हैहुनर और ऐब की सूरत बदलती जाती हैना गरज ना किसी से वास्ता मुझे कम अपने काम सेतेरे ज़िक्र से तेरी फ़िक्र से तेरी याद से तेरी नाम से Share on: