ईश्क के फ़ुल बिखर रहे हैं हवा से महक आई है आसमान हुआ इन्द्रधनुषी बन गयी मैं आज Admin सम्मान पर शायरी, प्रेम << ख़्वाबों के पंख लगे हैं आ... समझ ना सको ना सही अब कोई ... >> ईश्क के फ़ुल बिखर रहे हैंहवा से महक आई हैआसमान हुआ इन्द्रधनुषीबन गयी मैं आज सतरंगी। Share on: