जाने कब से जल रही है सीने में एक आग Admin प्रेम << सुनहरे दिन और चाँदनी राते... मिटा ना सका मैं अपने हाथ ... >> जाने कब से जल रही है सीने में एक आग.शब्द मेरे स्याही में डूबने को बेताब.....अब तो बरस जाओ ऐ बूँदों जम के ज़रा...इससे पहले की मैं खुद में जलकर हो जाऊँ राख.. Share on: