मुझे मालूम नहीं कि मेरी आँखों को तलाश किस की है Admin मंज़िल शायरी, प्रेम << इतनी बेचैनी से तुमको किसक... सरे राह जो उनसे नज़र मिली >> मुझे मालूम नहीं कि मेरी आँखों को तलाश किस की है...पर तुझे देखूं तो बस मंज़िल का गुमान होता है . Share on: