"चाहत किसी की गुलाम नहीं होती Admin गुलामी शायरी, प्रेम << “जाम पे जाम पीनेसे क्या फ... उसने कहा मत देख मेरे सपने >> "चाहत किसी की गुलाम नहीं होती,मोहब्बत कभी सरे-आम नहीं होती,कैसे भूल जाए आपकी यादों को...,क्योकि हमारी दोस्ती की "सरवर" कभी जाम नहीं होती." Share on: