सच्ची मोहब्बत एक जेल क़े कैदी की तरह होती है,जिसमे उम्र बीत जाये तो भी सजा पूरी नहीं होती ।अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यो. ?ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो..आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें.......!!!