साथ जो चलता रहा वो दूसरा ही जिस्म था Admin हमसफर शायरी हिंदी, प्रेम << क्या रोग दे गई है ये नए म... सात सुरों का बहता दरिया त... >> साथ जो चलता रहा वो दूसरा ही जिस्म था,भूल से अपना जिसे साया समझ बैठे थे हम.हमज़बाँ, हमराज़, हमदम, हमसफ़र और हमनशीं,क्या बताएं आपको क्या-क्या समझ बैठे थे हम Share on: