यूँ ही नहीं मिलती मंज़िल राही को Admin परिंदो पर शायरी, प्रेरणादायक << जब पाँच सेकंड की मुस्कान ... हौंसलों को कर बुलंद रास्त... >> यूँ ही नहीं मिलती मंज़िल राही कोएक जूनून सा दिल में जगाना पड़ता हैऐसे ही नहीं बन जाते आशियाने परिंदो केभरनी पड़ती है उड़ान बार-बार, तिनका-तिनका उठाना पड़ता है। Share on: