मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में ख्वाहिश शायरी रेख़्ता, Bewafa << किसी को प्यार करो तो इतना... भुला देंगे तुमको ज़रा सब्... >> मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में , मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का , मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है। Share on: