अपने हिसाब से जियो। लोगो की सोच का क्या देसी जाट शायरी, Decent << जब से तुम्हारे नाम की मिश... माझ्या यशाची सावली >> अपने हिसाब से जियो।लोगो की सोच का क्या?वो तो कंडीशन देखकर बदलतीरहती है।चाय में मक्खी गिरे तो चाय को फेंक देते है,और देसी घी में गिरे तोमक्खी को। Share on: