एक दिन बाद बहू को आया यादअरे कल था ससुरजी का श्राद्धआधुनिका बहू ने क्या कियाडोमिनोस को फोन कियाऔर एक पिज़ा पंडितजी के यहाँ भिजवादियाब्राहमण भोजन का ये मोडर्न स्टाइल थादक्षिणा के नाम पर कोक मोबाइल थारातससुरजी सपने में आयेथोड़े से मुस्कराएबोले शुक्रियामरने के बाद ही सही, याद तो कियापिज़ा अच्छा था, भले ही लेट आयामैंने मेनका और रम्भा के साथ खायाउन्हें भी पसंद आयाबहू बोली,अच्छा तो आप अप्सराओं के साथ खेल रहे हैऔर हम यहाँ कितनी मुसीबतें झेल रहे हैमहगाई का दोर बड़ता ही जाता हैपिज़ा भी चार सो रुपयों में आता हैससुरजी बोलेहमें सब खबर है भले ही दूर बैठें हैलेट हो जाने पर डोमिनो वाले भी पिज़ा फ्री में देते है!!