शायरी के तीन अलगअलग अंदाज ..कुँवारे की शायरी -तकदीर है मगर किस्मत नहीँ खुलती,ताजमहल बनाना चाहता हूँमगर "मुमताज नहीँ मिलती"..प्रेमी की शायरी -तकदीर तो है पर किस्मत नहीँ खुलती,"मुमताज मिल गई है "पर शादी नहीँ करती..और अब शादीशुदा आदमी की शायरी -तकदीर है मगर किस्मत नहीँ खुलती,ताजमहल बनाना चाहता हूँमगर "मुमताज नहीँ मरती"!!