सच को तमीज़ ही नहीं गम की शायरी, Shayari << अब तो पत्थर भी बचने लगे ह... नाराज क्यों होते हो >> सच को तमीज़ ही नहीं,बात करने की...!!!झूठ को देखो,कितना मीठा बोलता है.....!!!!! Share on: