तेरी मासूमियत के मारे है मासूमियत पर शायरी, Shayari << लाख चाहा रोक ले हम पर रोक... नुमाइश करने से चाहत नही ब... >> तेरी मासूमियत के मारे है,वरना जिगर तो हम भी पत्थर का रखते है ! Share on: