जींदगी जीता हु खुली किताब की तराह हार शायरी, Attitude << जिस दिन आपने अपनी सोच बड़... जिन्दगी जखमो से भरी है वक... >> जींदगी जीता हु खुली किताब की तराह...ना कोई फरेब ना कोई लालच...मगर मे हर "बाजी"खेलता हूं "बीना देखे"...कयुकी...ना मुजे हारने का गम... ना जीत ने का जशन.. Share on: