एक थी मैना, एक था कव्वा, मैना का घर मोम का था और कव्वे का नून का था। मैना ने एक दिन खिचड़ी पकाई। बाज़ार बंद हो गया था। नमक न मिला तो उसने अपने बच्चे को कव्वे के पास भेजा कि अपने घर में से ज़रा सा नून दे-दे। मैना के बच्चे ने जब कव्वे से ये बात जा कर कही तो कव्वा बहुत ख़फ़ा हुआ और कहने लगा, “जा-जा बड़ा बेचारा नमक माँगने वाला आया, तेरी हंडिया की ख़ातिर मैं अपने घर की दीवार तोड़ दूँ, तब तुझको नमक दूँ, ऐसे बेवक़ूफ़ मैना के महल्ला में रहते होंगे।” मैना का बच्चा अपना सामना ले कर माँ के पास आ गया और उसने दोनों हाथ उठा कर ख़ुदा से दुआ की कि, इलाही घमंड करने वालों को नीचा दिखा, ये दुआ करनी थी कि ऐसा मेंह बरसा कि जल-थल भर गए। कव्वे का घर तो नून का था, सब बह गया, मैना का घर मोम का था, उसको कुछ भी नुक़्सान न पहुँचा। जब कव्वे का घर बर्बाद हो गया तो वो मैना के पास आया और उससे कहने लगा, “बी मैना रात की रात मुझे अपने घर में ठहरा लो।” मैना ने जवाब दिया, “तू ग़ुरूर का कलिमा बोला था और मुझको नमक न दिया था। ख़ुदा ने उसका बदला दिखाया है, अब मैं तुझे घर में क्यों ठहराऊँ, तू बड़ा ख़ुद-ग़रज़ और ख़ुदा का गुनहगार बंदा है।” कव्वे ने बहुत आजिज़ी की तो मैना को तरस आ गया और उसने ख़याल किया कि ऐसा न हो ख़ुदा मुझसे भी नाराज़ हो जाए कि तूने मुसीबत-ज़दा की मदद क्यों न की, इस वास्ते उसने दरवाज़ा खोल दिया और कव्वे को अंदर बुला लिया। कव्वे ने कहा, “आपा मैना मैं कहाँ बैठूँ?” मैना बोली, “चूल्हे पर बैठ जा।” कव्वे ने कहा, “मैं जल मरूँगा, मैं जल मरूँगा।” मैना ने कहा, “अच्छा जा मेरी चक्की पर बैठ जा।” कव्वा बोला, “मैं पिस मरूँगा, मैं पिस मरूँगा।” मैना ने कहा, “अच्छा मेरे चरखे पर बैठ जा।” कव्वा बोला, “मैं कट मरूँगा, मैं कट मरूँगा।” तो मैना ने कहा, “अच्छा, कोठरी में जा बैठ, वहाँ मेरे चने भरे हुए हैं। उनको न खा लीजो।” कव्वे ने कहा, “तौबा है आपा मैना, तुम भी कैसी बदगुमान हो। तुम तो मुझ पर एहसान करो, घर में जगह दो और मैं तुम्हारे हाँ चोरी करूँगा। तौबा तौबा! उसका तो ख़याल भी न करना।” मैना ने कोठरी खोल दी और कव्वा अंदर जा कर बैठ गया। आधी रात को मैना की आँख खुली तो कोठरी में कुछ खाने की आवाज़ आई। मीना ने पूछा, “भाई कव्वे क्या खा रहे हो।” बोला, “आपा मैना, मेरी ससुराल से बन आए थे। वो सर्दी में चबा रहा हूँ।” मैना चुपकी हुई, पिछली रात को मैना की आँख फिर खुली तो खाने की आवाज़ आई और मैना ने फिर पूछा तो कव्वे ने वही जवाब दिया। कव्वा सब जानवरों से पहले जागा करता है। मैना अभी बिछौनों से उठी भी न थी जो कव्वा कोठरी से निकल कर भाग गया। मैना ने उठ कर देखा तो सारी कोठरी ख़ाली थी। कव्वे ने सब चने खा लिए थे। उस वक़्त मैना ने कहा, “बदज़ात और शरीर के साथ एहसान करने का ये बदला है।”