मंजिल मिले ना मिले ये तो मुकदर की बात है! हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत गहरे जख्म शायरी, Decent << निंद से क्या शिकवा जो आती... इस उम्मीद से मत फिसलो >> मंजिल मिले ना मिलेये तो मुकदर की बात है!हम कोशिश भी ना करेये तो गलत बात है...जिन्दगी जख्मो से भरी है,वक्त को मरहम बनाना सीख लो,हारना तो है एक दिन मौत से,फिलहाल जिन्दगी जीना सीख लो| Share on: