मुझे हराकर कोई मेरी जान भी ले जाए मुझे मंजुर है दोस्ती धोखा शायरी, Decent << मुखौटा कितना भी अच्छा क्य... कोई भी इंसान अकेला नहीं ह... >> मुझे हराकर कोई मेरी जान भी ले जाए मुझे मंजुर है, लेकिन धोखा देने वालों को मै दुबारा मौका नही देता. Share on: