किस हद तक जाना है ये कौन जानता है Admin मंजिल शायरी इन हिंदी, Dosti << अच्छा दोस्त तकिये के जैसा... बेशक थोड़ा इंतजार मिला हमक... >> किस हद तक जाना है ये कौन जानता हैकिस मंजिल को पाना है ये कौन जानता हैदोस्ती के दो पल जी भर के जी लोकिस रोज़ बिछड़ जाना है ये कौन जानता है। Share on: