मैं जागूँ सारी रैन सजन तुम सो जाओ गीतों में छुपा लूँ बैन सजन तुम सो जाओ शाम ढले से भोर भए तक जाग के जब कटती है घड़ियाँ मधुर मिलन की ओस में बस कर खिलती हैं जब जीवन की कलियाँ आज नहीं वो रैन सजन तुम सो जाओ फीकी पड़ गई चाँद की ज्योति धुँदले पड़ गए दीप गगन के सो गईं सुंदर सेज की कलियाँ सो गए खिलते भाग दुल्हन के खुल कर रोलें नैन सजन तुम सो जाओ जाग के तन की अग्नी सो गई बढ़ के थम गई मन की हलचल अपना घुँघट आप उलट कर खोल दी मैं पाँव की पायल अब है चैन ही चैन सजन तुम सो जाओ